बिहार चुनाव में खराब प्रदर्शन से दुखी नीतीश ने सीएम पद को लेकर दिखाई अनिच्छा, भाजपा नेताओं ने समझाया
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नीतीश के सीएम पद को लेकर अनिच्छा दिखाने के बाद वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने उन्हें मुख्यमंत्री बनने के लिए राजी किया। भाजपा नेताओं ने पूरा आश्वासन दिया कि वह पहले की तरह पूर्ण स्वतंत्रता के साथ अपनी सरकार चला सकते हैं।
बुधवार को बिहार के निवर्तमान मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘जनता सर्वोपरि है। मैं एनडीए को बहुमत देने के लिए लोगों का आभारी हूं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं।’
सूत्रों ने कहा कि जिस तरह से चिराग पासवान और उनकी लोजपा ने जदयू को नुकसान पहुंचाया था, उससे नीतीश बहुत परेशान थे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, वह बहुत परेशान थे कि चिराग ने कम से कम 25-30 सीटों पर जदयू की जीत की संभावना को बिगाड़ दिया। हमने उन्हें सीएम बने रहने के लिए राजी किया, हालांकि भाजपा अब गठबंधन में एक वरिष्ठ भागीदार है।
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए को 125 सीटें मिली हैं। इसमें भाजपा के खाते में 74 सीटें गईं। जदयू को 43 और वीआईपी और हम को चार-चार सीटें मिली हैं। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनकी पार्टी में सामान्य धारणा थी कि भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान चिराग पासवान के साथ प्रभावी ढंग से व्यवहार नहीं किया। इस नेता ने कहा कि भाजपा और जदयू कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय में भी अंतराल था। उन्होंने कहा, इस कारण जदयू पार्टी के कुछ मंत्रियों और कुछ मौजूदा विधायकों को हार का सामना करना पड़ा।
जदयू नेता ने कहा कि वास्तव में, जदयू के मंत्री जय कुमार सिंह (दिनारा), शैलेश कुमार (जमालपुर), कृष्णनंदन वर्मा (जहानाबाद), रामसेवक सिंह (हथुआ), संतोष निराला (राजपुर) और खुर्शीद आलम (सिकता) की हार के लिए लोजपा कारक को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
जदयू को इस बार विधानसभा चुनावों में 43 सीटें मिली हैं, जो 2005 के विधानसभा चुनावों के बाद पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन है। 2015 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को 71 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, मंगलवार शाम को बिहार के वरिष्ठ भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव, बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल, डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने नीतीश कुमार से मुलाकात की।