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सफलता: नौकरी छोड़कर की थी सिविल सेवा की तैयारी, पिता की मौत के बाद मां के हौसले ने बनाया टॉपर
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सार
रिजल्ट की जानकारी मिलने पर मोबाइल में टेलीग्राम खोला, तो उसमें लिखा था कि BPSC में गौरव टॉपर।
बिहार लोक सेवा आयोग
– फोटो : सोशल मीडिया
कहते हैं मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। ऐसा ही हुआ बिहार के गौरव के साथ इन्होंने तीसरी बार में बिहार लोक सेवा आयोग में टॉप किया। गौरव ने इसका श्रेय अपनी मां को दिया। गौरव सिंह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और नौकरी छोड़कर ही सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी की और सफलता पाई। गौरव के पिता नहीं हैं मां ने इनको पढ़ाया।
गौरव सिंह ने की पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई बिहार के रोहतास जिले के चमरहा अपने गांव में ही की। इसके आगे पढ़ने के लिए उन्होंने बनारस का सेंट्रल हिंदू स्कूल चुना जहां से इन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की और बाद में कलिंगा विश्वविद्यालय से मैकनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।
गौरव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही सिविल सर्विस की ओर जाने का फैसला कर लिया था। डिग्री पूरी होने के बाद कुछ दिनों तक पुणे में नौकरी की। इसके बाद जॉब छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी करने लगे और इन्होंने अपना ऑप्शनल विषय भूगोल रखा।
इनको तीसरी बार में नंबर वन रैंक मिला है। इससे पहले 64वीं BPSC की परीक्षा में 144वां स्थान मिला था। निदेशक सामाजिक सुरक्षा के पद पर ज्वाइनिंग होने वाली थी। उन्होंने बताया कि रिजल्ट की जानकारी मिलने पर मोबाइल में टेलीग्राम खोला, तो उसमें लिखा था कि BPSC में गौरव टॉपर। अंग्रेजी में गौरव की स्पेलिंग दूसरी लिखी थी इसके बाद रोल नंबर मिलाया। फिर पता चला कि गौरव ही टॉपर हैं। फिर मां को फोन कर जानकारी दी। गौरव की मां शिक्षिका हैं।
विस्तार
कहते हैं मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। ऐसा ही हुआ बिहार के गौरव के साथ इन्होंने तीसरी बार में बिहार लोक सेवा आयोग में टॉप किया। गौरव ने इसका श्रेय अपनी मां को दिया। गौरव सिंह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और नौकरी छोड़कर ही सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी की और सफलता पाई। गौरव के पिता नहीं हैं मां ने इनको पढ़ाया।
गौरव सिंह ने की पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई बिहार के रोहतास जिले के चमरहा अपने गांव में ही की। इसके आगे पढ़ने के लिए उन्होंने बनारस का सेंट्रल हिंदू स्कूल चुना जहां से इन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की और बाद में कलिंगा विश्वविद्यालय से मैकनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।
गौरव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही सिविल सर्विस की ओर जाने का फैसला कर लिया था। डिग्री पूरी होने के बाद कुछ दिनों तक पुणे में नौकरी की। इसके बाद जॉब छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी करने लगे और इन्होंने अपना ऑप्शनल विषय भूगोल रखा।
इनको तीसरी बार में नंबर वन रैंक मिला है। इससे पहले 64वीं BPSC की परीक्षा में 144वां स्थान मिला था। निदेशक सामाजिक सुरक्षा के पद पर ज्वाइनिंग होने वाली थी। उन्होंने बताया कि रिजल्ट की जानकारी मिलने पर मोबाइल में टेलीग्राम खोला, तो उसमें लिखा था कि BPSC में गौरव टॉपर। अंग्रेजी में गौरव की स्पेलिंग दूसरी लिखी थी इसके बाद रोल नंबर मिलाया। फिर पता चला कि गौरव ही टॉपर हैं। फिर मां को फोन कर जानकारी दी। गौरव की मां शिक्षिका हैं।
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