मजदूरों का घर वापसी को लेकर बवाल, टूट रहा है सब्र का बांध
पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है. लॉकडाउन का तीसरा चरण फिलहाल 17 मई तक रहेगा. इसके आगे पीएम मोदी ने लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दो दिए है साथ ही साथ ढील भी देने की बात सामने आ रही है. इस कोरोना वायरस महामारी से पहले भी हमारी अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही थी. लेकिन इस वैश्विक महामारी ने तो हमारी अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा दोनो बिगाड़ दी है.
इसमें सबसे ज्यादा मार देश के करोड़ों मजदूरों पर पड़ रही है. यातायात के सभी साधन बंद होने की वजह से मजदूर जहा थे वहीं फंसे रह गए. इस कारण ना तो उन्हें रोजगार मिल पाया और ना ही वो वापस अपने घर आ पाए. इन मजदूरों को पैदल या साइकिल पर सवार होकर अपने घर जाना पड़ रहा है. इतने दिन बीत जाने के बाद जब उनको कोई उम्मीद को किरण नजर नहीं आ रही है तो अब देश के अलग अलग हिस्सो में मजदूरों के हंगामे, और घर जाने की अपील की तस्वीरे सामने आ रही है.
देश के विभिन्न राज्यो में मजदूर सड़क पर आने को मजबुर हो गए है.
अगर हम महाराष्ट्र की बात करें तो जिन मजदूरों को श्रमिक स्पेशल ट्रेन की सुविधा नहीं मिल रही है, वह पैदल ही अपने घर की ओर निकल रहे है या स्थानीय अपील कर रहे है. मुंबई में मजदूरों का गुस्सा फूट पड़ा है, मुंबई के नागपाडा इलाके में सैकड़ों की संख्या में मजदूर सड़क पर उतर आए है, बेलासिस रोड के पास मजदूर इकट्ठा हुए है और अपने घर उत्तर प्रदेश भेजे जाने कि मांग कर रहे है. भीड़ बढ़ती देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर मजदूरों को वहा से भगाया.
इधर गुजरात में भी हालात कुछ ऐसे ही है. गुजरात के कच्छ में प्रवासी मजदूरों ने स्थानीय प्रशासन के खिलाफ जमकर हंगामा किया. मजदूरों ने गांधीधाम में सड़क पर हंगामा किया, और इसके साथ हाईवे को ब्लॉक कर दिया. इसके बाद मजदूरों कर लाठीचार्ज किया गया पुलिस के द्वारा. मजदूरों ने पुलिस पर पत्थर बाजी भी की. मजदूरों का कहना है कि हम घर जाने के लिए ट्रेन के टिकट पैसा दे चुके है फिर भी अभी तक हमारे घर जाने के लिए ट्रेन की व्यवस्था नहीं की गई है.
देश में अन्य जगह पर भी मजदूर सड़कों पर उतरने को मजबुर हो रहे है. हरियाणा से निकाल कर बिहार जा रहे मजदूरों का कहना है कि फैक्ट्री मालिक ने हमें निकाल दिया है और अब हमे अपने घर जाना है लेकिन हमें घर जाने नहीं दिया जा रहा है.
इसके अलावा बिहार में कुछ ऐसे ही हालात है. बिहार के अलावा मध्यप्रदेश में हालात मजदूरों के लिए कुछ ऐसे ही बने हुए है.