रिजर्व बैंक और केन्द्र सरकार के बीच खींचतान जारी है. जहां केन्द्र सरकार 19 नवंबर को होने आरबीआई बोर्ड बैठक में अपना अहम एजेंडा सामने करते हुए बोर्ड में रिजर्व बैंक गवर्नर की भूमिका को कम करने का काम कर सकती है. दरअसल, खबर के मुताबिक केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक गवर्नर के बीच विवाद की अहम वजह केन्द्रीय रिजर्व बैंक के पास मौजूद 9.6 ट्रिलियन (9.6 लाख करोड़) रुपये की रकम है.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि केन्द्र सरकार रिजर्व बैंक के पास पड़ी इस रिजर्व मुद्रा का लगभग एक-तिहाई हिस्सा लेना चाहती है. केन्द्र सरकार का रुख है कि इतनी बड़ी मात्रा में रिजर्व मुद्रा रखना रिजर्व बैंक की पुरानी और संकुचित धारणा है और इसे बदलने की जरूरत है. खबर के मुताबिक केन्द्र सरकार रिजर्व बैंक से चाहती है कि उसे इस रिजर्व मुद्रा से 3.6 ट्रिलियन रुपये दिए जाएं. केन्द्र सरकार इस मुद्रा का संचार कर्ज और अन्य विकास कार्यों पर खर्च के जरिए अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहती है.
19 नवंबर को होने वाली आरबीआई बोर्ड की प्रमुख बैठक में केन्द्र सरकार अपने नुमाइंदों के जरिए विवादित विषयों पर प्रस्ताव के सहारे फैसला करने का दबाव बना सकती है. दरअसल, रिजर्व बैंक बोर्ड में केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों की संख्या अधिक है लिहाजा फैसला प्रस्ताव के आधार पर लिया जाएगा तो रिजर्व बैंक गवर्नर के सामने केन्द्र सरकार का सभी फैसला मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.