दल-बदल करने वाले दल बिगाड़ेंगे गठबंधनों का खेल
विपक्षी महागठबंधन से अलग हुए जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी अपने अपने समुदाय के चेहरे हैं। वहीं राजद से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले पप्पू यादव सीमांचल की यादव बिरादरी में पहले से लोकप्रिय मुकेश सहनी ने मतदाताओं के एक हिस्से में अपनी पैठ बना ली है। पप्पू यादव का ओबीसी दलित समीकरण मुकेश सहनी को नुकसान पहुंचाएंगे।
भाजपा का भी लोजपा से पल्ला झाड़ नाथ है नीतीश के खिलाफ लड़ाई ना पसंद
लोजपा की नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा भाजपा के लिए सिरदर्द ही बनेगी। राजग में रहते भाजपा के साथ और नीतीश के खिलाफ वाली लोजपा की थ्योरी भाजपा को रास नहीं आ रही। यदि लोजपा इसी रास्ते आगे बढ़ी तो जल्द ही भाजपा भी उससे किनारा कर लेगी। वैसे भी नीतीश कुमार इस मामले में चुप बैठने वालों में नहीं हैं।
गौरतलब है कि अपनी मांगों को खारिज किए जाने के बाद लोजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ और जदयू के खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान कर राजग के लिए स्थिति असहज बना दी है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि लोजपा इस रणनीति में राजद की प्रासंगिकता पर ही सवाल खड़ा हो जाएगा।
अंतिम कोशिश भी नाकाम
लोजपा को राजग में बनाए रखने के लिए भाजपा में शनिवार देर रात तक अंतिम कोशिश होती रही। लोजपा को 18 सीटें देने का प्रस्ताव दिया गया। भाजपा ने जदयू को अपने कोटे से लोजपा को कुछ सीटें देने के लिए मनाने की भी कोशिश की। मगर जदयू एक भी सीट छोड़ने को तैयार नहीं हुई, क्योंकि लोजपा 34 सीटों से कम पर नहीं मान रही थी। इसलिए इस मामले में गतिरोध नहीं टूट पाया।