कोरोना मरीजों को दफनाने के लिए काम आने वाली किट बनी मुसीबत
गुजरात में कोरोना वायरस का संकट हर दिन बढ़ता ही जा रहा है. इसी तरह में अहमदाबाद में भी कोरोना का संकट बढता ही जा रहा है. और अहमदाबाद शहर में लोग एक दूसरी ही समस्या से जूझ रहे है.
आपको बता दें अहमदाबाद का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है मूसा सुहाग. मूसा सुहाग कब्रिस्तान में कोरोना वायरस से मरने वाले लोगो को दफनाया जा रहा है. इस कब्रिस्तान के अंदर घुसते ही यह वहा मास्क, दस्ताने, गाऊन और फेस शील्ड पड़े हुए दिखाई देते है क्यूंकि लोग अपने परिजनों को दफनाने आए लोग इस चीजों का इस्तेमाल के यही फेंक जाते है.
जो लोग अपने घर वालो को दफनाने के लिए आते है और जो लोग यहां काम करते है उन्हें सुरक्षा उपकरण दिए जाते है ताकि लोगों को दफन करते वक़्त संक्रमण से सुरक्षित रखा जा सके. इनमे इस्तेमाल होने वाले कपड़ों में गाऊन, मास्क इत्यादि को खतरा माना जाता है और इन्हें सुरक्षापुर्वक नष्ट करना होता है.
हालांकि स्थानीय लोगो की शिकायत आ रही है कि को लोग इसे इस्तेमाल करते है वो इन्हे यहीं छोड़कर चलें जाते है. एक स्थानिक युवक बताते है कि हम यहां आसपास की सोसायटी में ही रहते है. हर अंतिम क्रिया यानी दफन करने में करीब करीब 16 सेफ्टी किट्स लगते है. वो लोग इस्तेमाल करके जूते, दस्ताने, जूतों का कवर सभी यहां छोड़ जाते है. कोरोनावायरस के डर कि वजह से सेनिटेशन करने का काम करने वाले कर्मचारी भी इन्हे नहीं उठाते है.
एक अन्य स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि कुत्ते इन फेंकी हुई किट्स को लेकर हमारी सोसायटी में के आते है. इससे हम लोग अपने स्वास्थ और सुरक्षा को देखते हुए अभी इलाकेंस दूर चले गए है.
जो कब्रिस्तान के केयरटेकर है सैयद लियाकत अली. उन्होंने बताया कि हमने इसकी सूचना अधिकारियों, सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्यों और पुलिस को दी थी लेकिन अभी कोई उपलब्ध नहीं है. इसलिए वो खुद ही इन छोड़े गए पीपीई किट्स को नष्ट कर रहे है. वो आगे बताते है मेरे पास कुछ पीवीसी पाइप्स है जिससे मैं उन्हें उठाता है.
आपको बता दें कि अहमदाबाद देश के सबसे बड़े कोरोना हॉटस्पॉट में से एक है. सिर्फ अहमदाबाद में 6000 से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ चुके है, जिसमे से 400 से ज्यादा लोगो की मौत भी हो चुकी है.