गुरु की अनोखी मुहिम,प्लेटफॉर्म पर संवार रहे भविष्य।
सरकार और विभाग के लाख कोशिश के बाद भी बिहार सहित भारत वर्ष में लाखों बच्चे शिक्षा एवं बाल अधिकार से महरूम नशे एवं बालश्रम से जुड़ अपने जीवन और बचपन को खो रहे है ।
आज आपको एक ऐसे hbगुरु की कहानी बताने जा रहे hoहैं जिसे सुनकर आपभी गुरु की पहल को सलाम करेंगे।बेगूसराय के एक शिक्षक दम्पति जो नशा के गुलाम बने बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देकर न सिर्फ उनका बचपन बचा रहे हैं बल्कि उनके भविष्य को संवारने का बीरा उठा लिए हैं। बरौनी जंक्शन स्थित प्लेटफॉर्म पर ककहरा पढ़ रहे इन बच्चों की तस्वीर देखिये जो बच्चे कल तक पढ़ाई से कोसों दूर थे कोई बाल मजदूरी करता था तो कोई नशा की गिरफ्त में लेकिन अब जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है।बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे ये शिक्षक दंपति बेगूसराय के शोकहरा निवासी अजीत कुमार एवं शबनम मधुकर हैं जो विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर मुफलिसी की ज़िंदगी गुजार रहे अनाथ, बेसहारा और नशे के आदि बने बच्चों के बीच ज्ञान का दीपक जला रहे हैं ।इनकी कोशिश है कि गुमराह हो चुके बचपन को पटरी पर लौटाया जा सके और ये बच्चे भी बाकि बच्चों की तरह साक्षर और शिक्षित हो सके।बरौनी जंक्शन पर रोज दर्जनों ट्रेनें गुजरती है और ये बच्चे उसी भीड़ में कभी पॉकेटमार के आरोप में पिट जाते थे तो कभी चोरी में पकड़े जाते थे लेकिन शिक्षक दम्पति की पहल से अब बच्चों पर ये तोहमत भी नहीं जड़े जाते।
शिक्षक तो आप बहुत देखे होंगे लेकिन शिक्षक अजीत और उनकी पत्नी की पहल सबसे अनूठी है मानो इन्होंने अपना जीवन इन अनाथ और बेसहारा बच्चों के नाम समर्पित कर लिया हो। ये वो बच्चे हैं जिनकी जिंदगी में कभी शिक्षा व ज्ञान की रोशनी पहुंचने की उम्मीद नहीं थी लेकिन ये शिक्षक दंपति इन मासूमों की आंखों में सुनहरे कल का सपना सजा रहे हैं ताकि ऐसे बच्चों के गुमराह हो रहे बचपन को बचाया जा सके।अजीत और शबनम मधुकर को देखकर अब उनके बेटे दिव्यांशु भी इस मुहिम में जुड़ गए हैं और बच्चों को योगा के साथ अन्य गतिविधियों में भी ट्रेनिंग दे रहे हैं। यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ गीत, संगीत, पहेली, मूक अभिनय, चित्र, तालियां और चुटकियों जैसे रोचक गतिविधियों के माध्यम से भी भाषा और गणित की पढ़ाई करवाई जाती है। पढ़ाई के साथ शिक्षक दम्पति चंदा इकट्ठा कर इन बच्चों के कपड़े और भोजन का भी ख्याल रखते हैं।
शिक्षक अजीत की माने तो इन्हें यह प्रेरणा इसीलिए मिली क्योंकि अजीत का बचपन अपने पिता के साथ बरौनी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हुए गुजरा है। अपने इरादे के मजबूत और धुन के पक्के अजीत शुरू से पढ़-लिखकर शिक्षक बनना चाहते थे और स्नातक की पढ़ाई पूरी कर वर्ष 2004 में मध्य विद्यालय रेलवे, बरौनी में भाषा एवं गणित शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए और अब बच्चों के लिए प्लेटफॉर्म पर भी पाठशाला लगाते हैं।सही कहा गया है कि गुरु अगर ठान ले तो समाज की बिगड़ी तकदीर बदल सकती है और अजीत दम्पति शायद इसी मुहिम में जुटे हैं ताकि शिक्षा से कोई भी बच्चा महरूम न रहे । sender’s name- S.Madhukar , Barauni, Begusarai (Bihar) mob. No. 8986020759 , 9507707798