पटना: बिहार(Bihar)में बहुत जल्द आंध्रप्रदेश की मछली पर बैन लग सकता है। बिहार सरकार 14 जनवरी को इस पर फैसला लेगी। दरअसल एक मेडिकल रिसर्च में पाया गया है कि आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh)की मछली में फार्मेलिन की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे कैंसर (Cancer)का खतरा रहता है।
शुक्रवार को मुख्य सचिव दीपक कुमार (Chief Secretary Deepak Kumar)ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग इस संबंध में तैयारी कर रहा है। आंध्र से बिहार लाई जाने वाली मछलियों में फार्मेलिन की मात्रा अधिक पाई गई थी।
स्वास्थ्य विभाग ने 10 अलग-अलग स्थानों से मछली के सैंपल लेकर कोलकाता के लैब में जांच कराई। मुख्य सचिव ने कहा कि मछली को सड़ने से बचाने के लिए फार्मेलिन का प्रयोग होता है जो कैंसर का कारक है। सरकार द्वारा कराए कई टेस्ट में फार्मेलिन की मात्रा खतरनाक सीमा से अधिक पाई गई है।
बढ़ रही है लोकल मछलियों की मांग
इधर आंध्र से आने वाली मछलियों के आवक में गिरावट से लोकल मछलियों की मांग बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार बिहार में प्रतिदिन लगभग 2200 मीट्रिक टन मछलियों की खपत होती है। सरकारी आंकड़े के अनुसार बिहार में लगभग 1600 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता है। शेष आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा और भीमावरम जिले से आती हैं।
आम दिनों में आंध्र प्रदेश से लगभग 500 मीट्रिक टन मछलियां प्रतिदिन राज्य में आती हैं। पटना में आंध्र की मछली बाजार समिति बाजार में उतरती हैं। बाजार समिति से ही ये मछलियां पटना सिटी के मीना बाजार, गुलजारबाग हाट, बेली रोड के हड़ताली चौक, बोरिंग रोड, राजा बाजार समेत कम से कम 50 स्थलों पर बिकने जाती हैं।
