एक रिसर्च के मुताबिक ये पता चला है कि हिंद महासागर के नीचे मौजूद विशाल टेक्टोनिक प्लेट टूटने जा रही है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच की टेक्टोनिक प्लेट आने वाले भविष्य में अपने आप ही दो हिस्सो में विभाजित हो जायेगी. इसका असर इंसानों पर लंबे समय के बाद नजर आएगा. इसे भारत, ऑस्ट्रेलिया और कैपरीकोन टेक्टोनिक प्लेट के रूप में भी जाना जाता है.
इस रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया है कि ये टेक्टोनिक प्लेट बेहद ही धीमी गति से टूट रही है. इसके टूटने की जो गति है वो है 0.06 यानी 1.7 मिली मीटर प्रतिवर्ष. इस हिसाब से प्लेट के दो हिस्से 10 लाख साल में तकरीबन 1 मील यानी 1.7 किलोमीटर की दूरी तक खिसक जाएगी.
लाइव साइंस में प्रकाशित सहायक शोधकर्ता ओरिली कॉर्डियुरियर की रिपोर्ट के अनुसार यह प्लेट इतनी धीरे धीरे अलग हो रही है कि शुरुआत में इसका पता ही नहीं चलेगा. हालांकि इसकी रफ्तार धीमी है लेकिन फिर भी इसका टूटना बेहद ही महत्वपूर्ण है. प्लेटो के खिसकने या टूटने से धरती की संरचना में बहुत बड़े बदलाव आते है.
उदाहरण के लिए मध्य पूर्व के मृत सागर फॉल्ट 0.2 इंच प्रतिवर्ष की स्पीड से अलग हो रहा है. जबकि कैलिफोर्निया में सैन एंड्रियाज फॉल्ट इससे 10 गुना तेज यानी 0.7 प्रतिवर्ष की स्पीड से खिसक रही है.
हिंद महासागर में इस प्लेट के काफी धीमी रफ्तार से टूटने से और पानी में इसकी गहराई काफी ज्यादा होने से शोधकर्ता शुरुआत में समझ ही नहीं पाए के पानी के नीचे क्या हो रहा है. हालांकि जब दो जब दो मजबूत भूकंप का उदम स्थल हिंद महासागर निकला तो शोधकर्ताओं को अंदाजा हुआ की पानी के नीचे कुछ हलचल हो रही है.