लगभग 2 महीनों से चले आ रहे कोरोना संकट के कारण देश के किसानों की फल और सब्जियां बर्बाद हो गई है. बाकी किसानों को अपने दूध और अन्य फसलों को आधे पौने दामों पर बेचने को मजबुर है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 20 लाख करोड़ों के राहत पैकेज के ऐलान के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीएम मोदी के द्वारा ऐलान किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि सेक्टर के लिए ऐलान किया है. लेकिन किसान सरकार के इस फैसले से बिल्कुल भी खुश रही है. किसान जल्द ही सड़क पर उतरने का मन बना रहे है. कई किसान संगठनों का कहना है कि इस राहत पैकेज के नाम पर सरकार लोन बांट रही है, इससे देश का किसान आत्मनिर्भर नहीं बल्कि आत्महत्या को मजबुर होगा.
वित्त मंत्री ने गुरुवार को कृषि सेक्टर के लिए 3 करोड़ छोटे किसानों के लिए और सीमांत किसानों के लिए सस्ती दर पर 30 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त लोन दिया जाएगा. इसके अलावा 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्डधारकों में मछुआरों और पशुपालकों को शामिल किया गया है, ये 2 लाख रुपए तक का लोन ले सकेंगे.
वित्त मंत्री ने बताया है कि 3 करोड़ किसानों को पहले से 4 लाख करोड़ रुपए का लोन दिया का चुका है. इस कृषि लोन पर 3 महीने का मोरेटोरियम की सुविधा दी जा चुकी है. इस 1 मार्च से बढ़कर 31 मई तक कर दिया गया है. किसानों को फसल को खरीदने के लिए राज्य सरकारी फर्मो को 6700 करोड़ों रूपए की सहायता दी जा चुकी है.