सिंहवाड़ा। गणेश पूजा समिति के तत्वाधान में बाबा बटेश्वर नाथ धाम सिंहवाड़ा में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन कथा वाचक आचार्य श्री सुनील मिश्रा जी ने भगवान श्री कृष्ण के सर्वोपरी लीला श्री रास लीला, मथुरा गमन, दुष्ट कंस राजा के अत्याचार से मुक्ति के लिए कंसबध, कुबजा उद्धार, रुक्मणी विवाह, शिशुपाल वध एवं सुदामा चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया। एवं भगवान के 16,108 विवाह का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान की 8 मुख्य पटरानी थी। उन्होंने बताया कि भौमासुर नामक दैत्य ने हजारों कन्याओं के साथ विवाह करने के उद्देश्य से उन्हें बंदी बना कर रखा था।
तब उन कन्याओं के जीवन की रक्षा के लिए भगवान ने उस दैत्य का संहार किया और उन कन्याओं को कैद से बचाया मगर जब कन्याओं ने कहा कि इतने वक्त परिवार से दूर रहने के बाद उन्हें कौन स्वीकार करेगा तो उन्हें इस लांछन से बचाने के लिए भगवान ने उन 16,100 कन्याओं से विवाह किया। इस प्रकार भगवान के 16108 विवाह हुए। इसके बाद परीक्षित ने सुखदेव से भगवान के भक्त और परम मित्र की कथा सुनाने का आग्रह किया और सुखदेव ने उन्हें सुदामा महाराज की कथा सुनाई और बताया कि सुदामा नाम के एक गरीब ब्राह्मण जिनकी प्रारंभिक शिक्षा भगवान कृष्ण के साथ एक गुरुकुल में हुई थी। सुदामा एक विरक्त ब्राह्मण थे। अपनी हर स्थिति-परिस्थिति के लिए भगवान को ख़ुशी ख़ुशी धन्यवाद देने वाले। आज अपनी परिस्थितियों में अपनी पत्नी के कहने पर भगवान से मिलने गए और जब घर वापस आये तो भगवान ने कृपा करके उनकी झोपड़ी की जगह आलीशान महल बना दिया पर वो आदर्शवादी सुदामा उस महल को त्यागकर उसके नजदीक एक कुटिया बना कर रहे और जीवन यापन किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्वार्थ की मित्रता रह गई है परंतु सही मायने में मित्र वही है, जो साथी मित्र के हित के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी तक दे दे।
इसके पश्चात कथा के मुख्य प्रसंगों को श्रवण करा के कथा सार सुनाया और फिर शाप की अवधि के अनुसार सुखदेव ने वहां से प्रस्थान किया। परीक्षित ने खुद को भगवान में लीन कर लिया और तक्षक नाग ने उन्हें डंसा। सुप्रसिद्ध गायक बमबम झा जी ने कथा के अंत में भजनों की वर्षा करके उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को झूमने के लिए मजबूर कर दिया* तत्पश्चात सप्तम दिवस की कथा को विश्राम दिया गया। इस अवसर पर यजमान गोपाल पांडेय,अध्यक्ष मनोज चौधरी,सुजीत राय, शेखर बिहारी,रिझन राय,रविन्दर भगत,पवन पांडेय,अशोक झा,रामकुमार कुशवाहा, कुमार अभिषेक, राजू राउत,राजेश राउत,प्रेम भगत,ज्ञानेदु पांडेय,रंजीत ठाकुर,राजा राम भगत, मिथलेश भगत पंडित मुरारी मिश्रा, रवि झा आदि भी उपस्थित रहे।एवं कथा विश्राम के उपरांत भक्कतो के बीच प्रसाद बितरण किया गया
राधे राधे बोलना पड़ेगा
