संर्घष और सच्चाई की लड़ाई करते हुए आखिकार आयरलैंड के कानून को भी बदलना पड़ा। यह संर्घष करीबन 6 साल पहले एक भारतीय महिला की लड़ाई के रूप में शामिल हुआ जिसमें आयरलैंड के हर नागरिक ने सहयोग दिया। बीते रविवार को डूबलिन में एक सभा मनाई गई जिसके अंदर उस महिला को याद किया गया जिसके कारण आयरलैंड के कानून को बदला गया। सभा में एक भारतीय महिला की तस्वीर को मोमबत्तियों, फूलों से घेरा गया था। यह तस्वीर थी दंत चिकित्सक सविता की। आयरलैंड के एक कानून के अनुसार वहां पर गर्भपात कराना मना हैं क्योकि यह कैथलिक नियमों के खिलाफ है। यह कानून सिर्फ कैथलिक महिलाओं पर नही है यह उन सभी महिलाओं पर है जो वहां रहती हैं और काम करती हैं। डॉ ़ सविता की मृत्यु वर्ष 2012 में हुई। उनकी मृत्यु का कारण सैपटीसीमया बताया जाता है जो एक इंफेक्शन है जो गर्भपात की वजह से होता है। उनकी मौत का मुख्य कारण बताया जाता है कि उनको उनके गर्भ में बेहद दर्द था परंतु डॉक्टरों ने उनका गर्भपात करने से मना कर दिया था क्योकि यह गैरकानूनी था। सविता के पति के अनुसार उन्होनें यह बताया कि उन्होनें बोला था कि वह हिंदु है तो उनपर यह नियम लागू नही होता पर डॉक्टरों ने इस बात से इंकार किया। आयरलैंड में 1983 में यह कानून आया था जिसके कारण वहां गर्भपात कराना गैरकानूनी बना दिया। आयरलैंड में सविता अपने पति के साथ रहती थी जो पेशे से वैज्ञानिक है। अक्टूबर 21 को सविता अस्पताल गई थी और उन्होनें चिकित्सको यह बताया कि उनके गर्भ में दर्द हैं और उन्हें अत्याधिक पीड़ा हो रही है। डॉक्टरों ने उन्हें यह बताया कि उनका बच्चा जीवित नही रह पाएगा परंतु वह उसका गर्भपात भी नही करेंगें। आयरलैंड की जांच एजेंसी के मुताबिक उनकी मौत का कारण गर्भपात न होना था। इस आयोजन में सविता के माता पिता ने सबको यह इज़ाजत दी की वह उनके चित्र का इस्तेमाल कर सकतें हैं। आयरलैंड के करबीन 60 प्रतिशत लोगो ने कानून में बदलाव की मांग की और वहां पर यह कानून परीवर्ति हो गया।