रकबर नाम के एक व्यक्ति की मौत की चर्चा पूरे देश में सियासी ज़मीन को गर्म कर रही है। रकबर के घर की झानबीन से पता चला है कि उसके पिता दूध का काम करते थें परंतु कुछ साल पहले रकबर ने उनका हाथ बटाना शुरू कर दिया और उनके व्यवसाय को आगे बढाया। रकबर राजस्थान स्थित इलाके में दो दूधिया गाय को लेने गया था परंतु उसे यह खबर नही थी कि उसका यह कदम उस पर हावी हो जाएगा। रकबर की पत्नी ने उसको सलाह दी थी कि वह वहां न जाए पर वो नही माना। रकबर के साथी ने बताया कि वह दोनों गायों को गाड़ी में लाना चाहते थे परंतु गाय उसमें चढ़ने को राज़ी नही थी। इसलिए उन्होनें यह निश्चय लिया कि वह अपने घर तक पैदल जाएंगे। रकबर को यह उम्मीद थी कि जिस रास्ते से वह जाएंगे वहां पर उन्हें सब लोग जानते हैं तो किसी दुर्घटना की कोई आशंका नही है। जिस स्थान से उन्होनें गाय ली थी व उनके गांव तक की दूरी कम थी तो उन्होनें सोचा की यह रास्ता उनके लिए महफूज है।
जानते हैं उस रात क्या हुआ था-
रकबर व उनका साथी रात को करीबन 12 बजे राजस्थान के रास्ते से आ रहे थे वहीं उनपर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। रकबर का साथी जंगल की ओर झाड़ियों में छिप गया। करीबन डेढ़ बजे एक व्यक्ति ने पुलिस को फोन कर यह बताया कि यहां पर किसी व्यक्ति के साथ मारपीट हुई है। उस समय तक रकबर का साथी वहां से भाग चुका था व अपने गांव की तरफ रवाना हुआ था। पुलिस जिस समय वहां पहुंची तो उन्होनें रबकर का ब्यान लिया व उसे अस्पताल ले गए। डाॅक्टरों ने बताया कि उसकी मौत हो चुकी है।
सरकार ने पुलिस पर क्या सवाल उठाए-
सरकार के कुछ लोगो का मानना है कि अस्पताल उस स्थान से करीबन 2 किलोमीटर दूर है तो पुलिस को इतना समय क्यों लगा। एक सवाल यह भी उठता है कि क्या पुलिस ने पहले गाय को गौशाला पहुंचाया या फिर रकबर को अस्पताल।
रकबर की पत्नी गर्भ से है परंतु इस खबर के बाद वह बार बार चक्कर खा कर गिर जाती हैं। रकबर के गांव में हिंदु व मुस्लमानों की आबादी मिल जुल कर रहती है। रकबर के पिता बताते हैं कि मुस्लमान समुदाय बहुत समय पहले से गांव में दूध का व्यवसाय करता रहा है मगर आज तक कोई घटना या विवाद नही हुआ है।