उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती का घोटाला सामने आया है इसको लेकर परीक्षा के टॉपर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके साथ साथ पुलिस जांच में जुट गई है. इस मामले से जुड़े 50 से अधिक अभ्यर्थियों की पुलिस को तलाश है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये अभ्यर्थी 8 से 10 लाख रुपए देकर पास हुए है.
प्रयागराज के कई सेंटर में हुई परीक्षा पूरी तरह से रद्द हो सकती है. असल में, एक खबर के मुताबिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में 150 में से 142 नंबर पाने वाले धर्मेन्द्र कुमार पटेल को देश के राष्ट्रपति का नाम तक नहीं पता है. धर्मेंद्र से पूछे जाने वाले जनरल नॉलेज के आसान सवालों तक के जवाब नहीं से सके.
आपको बता दें कि प्रतापगढ़ के रहने वाले राहुल सिंह ने सोरांव थाने में पूर्व जिला पंचायत डॉक्टर कृष्ण लाल पटेल समेत आठ लोगो के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. और ये आरोप लगाया था कि 69000 सहायक शिक्षा भर्ती आरोपियों ने परीक्षा पास कराने के लिए 7.50 लाख रुपए का कैश दिया था. ये सब एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने बताया है.
दरअसल जब एक जून को रिजल्ट आया तो उसमें राहुल का नाम नहीं था. इसके बाद राहुल सिंह ने पुलिस अधिकारियों से मदद मांगी. इस पर कार्यवाही करते हुए पुलिस मुकदमा दर्ज किया और आठ नामजद आरोपियों में से 7 को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ शुरू की. इनके पास से 756000 नकद और कई अन्य डॉक्युमेंट्स मिले.
इस मामले को लेकर कांग्रेस भी यूपी सरकार पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा था कि 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाला एक बहुत बड़ा घोटाला है और ये घोटाला उत्तर प्रदेश का व्यापम घोटाला है. इस मामले में गड़बड़ी के तथ्य सामान्य नहीं है. डायरियों में स्टूडेंट्स के नाम, पैसे का लेनदेन, परीक्षा केंद्रों में बड़ी हेर फेर, इन गड़बड़ियों में रैकेट का शामिल होना. ये सब दर्शाता है कि इसके तात काफी जगहों पर जुड़े है.