प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम से इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) को लॉन्च किया। इस मौके पर उन्होंने यूपीए सरकार में लोन बांटने के तरीके पर सवाल उठाए। मोदी ने कहा कि पहले की सरकार में नामदारों के फोन करने पर बैंकों को धनी सेठों को लोन देना पड़ता था। 2014 से पहले जिन 12 बड़े डिफॉल्टरों को लोन दिया गया, उनके खिलाफ हमने कार्रवाई की। इसी तरह 27 और बड़े लोन खाते हैं, जिनमें 1 लाख करोड़ रुपए का एनपीए है। इसकी वापसी का भी इंतजाम किया जा रहा है।
मोदी ने कहा, ”1947 से 2008 तक देश के बैंकों ने जितना लोन दिया, पिछली सरकार के 6 साल में उससे दोगुना कर्ज दिया गया। तेरा भी भला, मेरा भी भला। ये लोन मिलता कैसे था? उस वक्त फोन बैंकिंग की सुविधा चली थी। अगर नामदार फोन कर दे तो लोन मिल ही जाता था। जिस धनी सेठ को लोन चाहिए होता था वो नामदारों से फोन करा देता था।”
मोदी ने कहा, ‘‘जिन लोगों को लग रहा था कि नामदार परिवार की सहभागिता और मेहरबानी से उन्हें मिले लाखों-करोड़ों रुपए हमेशा के लिए उनके पास रहेंगे, हमेशा इनकमिंग ही रहेगी, अब उनके खाते से आउटगोइंग भी शुरू हुई है। पहले की सरकार में देश से झूठ बोला गया। रोजाना ब्याज की रकम जुड़ने से कर्ज का बोझ बढ़ता गया। 2014 में हमारी सरकार आने पर पता चला कि कांग्रेस के नामदार ऐसी लैंडमाइन बिछाकर गए थे कि अगर उसी समय देश और दुनिया के सामने इसकी सच्चाई रखी जाती तो ऐसा विस्फोट होता कि अर्थव्यवस्था को संभालना मुश्किल होता।”