कर्नाटक के खट्ठे-मीठे अनुभवों से आगे बढ़ अब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मिशन यूपी पर जुटेंगे। 2019 लोकसभा चुनाव में जीत की संभावनाओं को मजबूत करने के लिए यूपी का किला संभालना बीजेपी के लिए सबसे जरूरी है। ऐसे में शाह अगले महीने से खुद यूपी में बैठकों और अभियानों के सिलसिले की अगुआई करेंगे। बीजेपी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 2019 को लेकर अब शाह का पूरा फोकस यूपी पर है।
बता दें कि कर्नाटक चुनाव के पहले अमित शाह लखनऊ दो बार आए थे। इस दौरान मिशन-2019 की रणनीति का प्रारंभिक खाका बनाने की जिम्मेदारी वह प्रदेश संगठन को दे गए थे। अब कवायद उसको अमलीजामा पहनाने की है। इस कड़ी में अगले महीने अमित शाह का यूपी दौरा प्रस्तावित है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो अमित शाह अगले महीने से क्षेत्रवार बूथ सम्मेलन करेंगे। विधानसभा चुनाव के समय भी इसका सफल प्रयोग हो चुका है। पार्टी के संगठनात्मक दृष्टि से छह क्षेत्र हैं। सभी क्षेत्रों में बूथ लेवल कार्यकर्ताओं से खुद मुखातिब होकर शाह उनको फिर ऐक्टिव मोड में लाएंगे। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रमों का सिलसिला भी इसी महीने शुरू होना है।
विपक्ष का मनोबल को तोड़ने की चुनौती
2014 में अपनी-अपनी ताकत को लेकर एसपी-बीएसपी को गलतफहमियां थीं। कमोबेश यही स्थिति 2017 में भी रही। इसके चलते सब अलग-अलग लड़े और बीजेपी के आगे विपक्ष बिखर गया। पर, हालिया चुनावों में विपक्ष इससे सबक लेता दिख रहा है। गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में एसपी-बीएसपी ‘एकता’ का सफल प्रयोग कर चुके हैं। कनार्टक में भी रणनीतिक तौर पर विपक्षी एकता ने बीजेपी को झटका दिया है। ऐसे में अमित शाह के सामने यूपी में एक बड़ी चुनौती विपक्ष के मजबूत हो रहे मनोबल को तोड़ने की भी है। खासकर तब जब पार्टी खुद अपनों के निशाने पर है। कई सांसद खुलेआम पार्टी लाइन के खिलाफ मुखर हैं और सहयोगी दलों के भी सुर बागी है। इसलिए शाह की नजर एक बार फिर जमीन पर संगठन को पुख्ता करने की है, जिससे विरोध के ऊपरी थपेड़ों को जमीन पर आसानी से झेला जा सके।
सरकार-संगठन तय करेंगे उपलब्धियों का हिसाब-किताब
मोदी सरकार के 26 मई को चार साल पूरे हो रहे हैं। चुनावी साल में प्रवेश करने के साथ ही भाजपा की नजर इन चार वर्षों की ‘सफलतम वर्षों’ के रूप में ब्रैंडिंग करने पर भी है। यूपी में इसकी रणनीति की दिशा तय करने के लिए सोमवार को सरकार और संगठन साथ बैठेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय और संगठन महामंत्री सुनील बंसल साथ बैठकर इसका खाका खींचेंगे।
बैठक के चार अहम अजेंडे
मोदी सरकार के चार साल का प्रचार, कैराना-नूरपुर उपचुनाव, मोदी के यूपी में संभावित दौरे और अगले महीने से शुरू होने वाले ग्राम स्वराज अभियान का दूसरा चरण। मोदी सरकार के चार वर्षों के काम-काज को जनता तक पहुंचाने के लिए सरकार और संगठन दोनों ही साथ जुटेंगे। वहीं, पहले चरण में पिछड़े गांवों तक ही सीमित ग्राम स्वराज अभियान को अब हर सेक्टर तक ले जाने की तैयारी है। इसके दायरे में करीब 14 हजार गांव आएंगे। इसमें अमित शाह सहित दूसरे राष्ट्रीय पदाधिकारी भी शिरकत करेंगे। बैठक में इसकी रूपरेखा पर भी चर्चा होगी। हालांकि, अजेंडे के इन अहम बिंदुओं के बीच सरकार-संगठन दोनों की सबसे बड़ी चिंता कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव है। खास बात यह है कि इसके नतीजे 31 मई को आएंगे, जब बीजेपी मोदी सरकार की चार साल की उपलब्धियों का जश्न मना रही होगी। इसलिए नतीजों का रुख भी सियासी गलियारे में ‘प्रमाणपत्र’ के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।