
द्वितीय दिवस दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वाधान में नर्सिंग बाबा मठ मोतिहारी में चल रहे सात दिवसीय शिव कथा के दूसरे दिन गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य कथा व्यास स्वामी श्री अभेदानांद जी ने पार्वती तपस्या प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए कहा
भगवान शिव कल्याणकारी है उनका श्रृंगार भी समस्त मानव जाति को महान प्रेरणा दे रहा है ।
उन्होंने कहा कि तन को एक दिन भष्म तो होना ही है। भगवान शिव के गले में सर्प के आभूषण संकेत करती है कि भोले नाथ विष को भी अमृत मान कर उसे पान कर गए । डमरू ब्रह्मनाद का सूचक है । त्रिशूल आदि भौतिक आदि दैविक अध्यात्म तीनों सूत्रों का प्रतीक है। शिव की शरणागति होकर तीनों पापो से बचा जा सकता है । शिव का रुद्र नाम भी बहुत प्रचलित है जो संहार करती है
सावन माह शिव के प्रति श्रद्धा ,विश्वास ,भक्ति और समर्पण का प्रतीक है कथा व्यास जी ने कहा भगवान शिव के प्रति मन, बुद्धि ,अहंकार त्याग कर शिव को अपना सर्वस्व जाने । शिव शब्द का अर्थ ही है पाप नष्ट करने वाला । शिव महापुराण में शिव के पांच कार्य – श्रृष्टि ,स्थिति ,नाश , तिरोभाव और मोक्ष है ।
सावन मास का प्रत्येक सोमवार अति महत्वपूर्ण है इसमें ब्रत ,पूजा,आरती का विशेष महत्व है सोमवार चन्द्र का प्रतिनिधित्व करता है चंद्रमा मन का स्वामी है जो शिव के मस्तक पर विराजमना है । चंद्रमा मन का स्वामी है जो शिव के मस्तक पर विराजमान हैं। चंद्रमा को नियंत्रित कर भक्त अपने मन को नियंत्रित करता है। शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो में सावन के महीने में श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ होती है गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करने से शिव बहुत प्रसन्न होते हैं ।सावन महीने में खूब बारिश होती है जिससे प्रकृति खिल उठती है । भोले बाबा की असीम कृपा होती है। इसलिए इन सम्पूर्ण लीलाओं की वास्तविकता को अगर गहराई में उतरकर मानना नहीं अपितु जानना चाहते हैं तो भगवान शिव कहते है कि समय के तत्ववेता पूर्ण सदगुरु के शरणागति आवश्यक है । आज के मुख्य यजमान श्री मनोज कुमार दैनिक यजमान बृजकिशोर जी , गोरख प्रसाद, बाबूलाल जी अन्य भक्त जनो के द्वारा व्यास पीठ की पूजन संपन्न की गई ।