बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा और जदयू में सीटों के बंटवारे का फार्मूला तय हो गया है। नीतीश कुमार ने अमित शाह को भारी नहीं पड़ने दिया है। भाजपा अध्यक्ष शाह को बराबर सीटें बांटने पर सहमत होना पड़ा है। शुक्रवार (26 अक्टूबर) को नई दिल्ली में शाह के घर पर नीतीश कुमार गए। कुछ देर बाद दोनों नेताओं ने मीडिया से बात की। शाह ने बताया कि नए सहयोगियों के चलते सभी की सीटें घटेंगी। नीतीश ने जानकारी दी कि यह तय हुआ हैै कि भाजपा और जदयू समान सीटों पर लड़ेंगी। सीटों की संख्या पर किसी नेता ने कुछ नहीं कहा। दूसरी तरफ, NDA के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने फार्मूले के प्रति अपनी सहमति जताई है।
पिछले चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा (22) सीटों के साथ-साथ सबसे ज्यादा 29.40 फीसदी वोट शेयर भी मिले थे। जनता दल यू ने 15.80 फीसदी वोट पाकर केवल दो सीटें जीती थीं। इसके बावजूद नीतीश कुमार ने जदयू के लिए भाजपा के बराबर सीटें लेकर अमित शाह को भारी नहीं पड़ने दिया। कुमार जुलाई 2017 में राजद और कांग्रेस से गठबंधन तोड़ कर एनडीए में शामिल हुए थे। तब उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ ही घंटों बाद एनडीए के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।
अमित शाह ने स्पष्ट किया कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी और जेडीयू में सीटों को लेकर सहमति बन गई है। नीतीश और शाह ने संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस कर NDA के अन्य घटक दलों को सीट आवंटित करने पर भी टिप्पणी की। लोजपा ने भी इससे सहमति जताई है, लेकिन पहले से ही असंतुष्ट चल रहे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी अध्यक्ष के ऐलान पर संशय बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है। कुशवाहा ने बताया कि अमित शाह ने खुद कहा है कि आने वाले कुछ दिनों में सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाएगा।