शोध कार्य सिर्फ शैक्षणिक डिग्री के लिए नहीं है। आज कल मापदंड पर शोध कार्य खड़े नहीं उतर पा रहे हैं। इसके लिए यूजीसी ने भी कई बार ¨चता जताई है।
शोध कार्य सिर्फ शैक्षणिक डिग्री के लिए नहीं है। आज कल मापदंड पर शोध कार्य खड़े नहीं उतर पा रहे हैं। इसके लिए यूजीसी ने भी कई बार ¨चता जताई है। अलमंसूर एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट दरभंगा की ओर से मिल्लत कॉलेज में शनिवार को आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता प्रधानाचार्य डॉ. मुश्ताक अहमद ने ये बातें कही। उन्होंने कहा कि शोध कार्य वह बुझी हुई राख के अंदर छिपी हुई ¨चगारी को अपनी लगन से प्रज्वलित करने की कला है। इस कार्य के लिए धैर्य का होना जरूरी है। वहीं स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में उर्दू की समस्या और उनका समाधान विषयक सेमिनार में प्रो. अब्दुल्मन्नान तर्जी, प्रो. अहमद हसन दानिश, प्रो. फारान शिकोह यजदानी, प्रधानाचार्य डॉ. मो. रहमतुल्लाह एवं डॉ. विद्यानाथ झा आदि ने कहा कि आज शोध कार्य को मापदंड पर खड़े नहीं उतरने के लिए शिक्षक भी कठघरे में खड़े नजर आ रहे हैं। बीएचयू के पूर्व उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. आफताब अहमद आफाकी ने बीज भाषण दिया। मौके पर एलएनएमयू के पूर्व विभागाध्यक्ष हाफिज अनीस सदरी को विदाई दी गई।। साथ ही दो पुस्तकों डॉ. मंसूर खुश्तर की तर्जी और इजतेहादे शेरी एवं डॉ. नजीर फतहपूरी लिखित पुस्तक डॉ. मंसूर खुश्तर की इन्फेरादी सलाहियत का विमोचन किया गया।