इस महीने केंद्र सरकार दवाइयों के दाम को लेकर एक बाद फैसला सुना सकती है । सरकार द्वारा पास हुए एक प्रस्ताव में यह कहा गया है कि दवा उत्पादन के लिए एक नया प्राइस इंडेक्स लागु होगा जिससे दवाइयों की कीमत पर असर पड़ेगा । इस बार इस प्रस्ताव के दोरान सरकार 850 दवाइयों की कीमतें निर्धित करेगी । हर वर्ष एक संस्था जिसका नाम नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग चैलेंज अथॉरिटी दवायिओं की कीमत में बदलाव लाती है । सभी दवाई निर्माता कंपनी को यह अधिकार है की वह हर वर्ष 10 प्रतिशत तक मूल्य बढ़ा सकती है परन्तु इससे ज्यादा मूल्य बढ़ना गलत होता है । यह मूल्य केवल इंडेक्स के मुताबिक ही होता है । यह योजना थिंकटैंक निति योग की सिफारिश पर लाया जा रही है जिसने यह प्रस्ताव रखा था कि ड्रग प्राइस कंट्रोल आर्डर २०१३ में बदलाव आने चाहिये । आंकड़ो के हिसाब से यह पता चलता है की देश में बिकने वाली केवल 20 प्रतिशत दवाईओं पर ही सरकार की नज़र है ।