Friday, June 2, 2023
Home राज्य  ...तो 'पुण्यात्मा' राहुल को बलि का बकरा बना रहे कुमारस्वामी?

 …तो ‘पुण्यात्मा’ राहुल को बलि का बकरा बना रहे कुमारस्वामी?



कर्नाटक में कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने और मुख्यमंत्री बनने वाले एचडी कुमारस्वामी शुरुआत से ही ज्यादातर कामों के लिए राहुल गांधी की अनुमति ले रहे हैं। चाहे वह कैबिनेट मंत्रियों का सवाल हो या फिर किसानों का लोन माफ करने की बात हो। हाल ही में उन्होंने अपने बयान से भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा को हवा दे दी थी।

कुमारस्वामी ने कहा था कि वह कांग्रेस के प्रति बाध्य हैं, कांग्रेस ने 6.5 करोड़ लोगों के प्रति नहीं। उन्होंने यह भी कहा था कि वह सीएम की कुर्सी पर पुण्यात्मा (राहुल गांधी) की कृपा से बैठे हैं। कुमारस्वामी के इस तरह के बयानों से कई राजनीतिक पंडितों ने कुछ अलग तरह के कयास लगाने शुरू कर दिए हैं। कहा जा रहा है कि कुमारस्वामी इसलिए ऐसा कर रहे हैं कि अगर आगे चलकर चीजें ठीक ना हों तो वह सारा का सारा दोष कांग्रेस पर मढ़ सकें और खुद की गर्दन बचा सकें।

‘गड़बड़ी का दोष हमपर डाल सकते हैं कुमारस्वामी’

कांग्रेस नेता भी कुमारस्वामी के इस रवैये पर खुलकर बोलने से नहीं चूक रहे हैं। कैबिनेट में मंत्रीपद के लिए जोर लगा रहे एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, ‘कुमारस्वामी काफी स्मार्ट गेम खेल रहे हैं। वह पूरा का पूरा भार राहुल गांधी पर डाल रहे हैं। अगर कहीं मंत्रिमंडल को लेकर असंतोष होता है या फिर कर्जमाफी को लकर कुछ गड़बड़ होती है तो वह इसका दोष भी हमपर ही डाल देंगे।’

एक और कांग्रेस नेता कहते हैं, ‘यह गलत है। वह राज्य के मुखिया हैं और ट्रस्ट वोट हासिल कर चुके हैं तो वह किसी भी जिम्मेदारी से कैसे भाग सकते हैं? उन्हें अपना गला बचाने की कोशिश करने की बजाय खुद पर जिम्मेदारी लेनी चाहिए।’

राहुल की तारीफ में गलत क्या है: उगारप्पा

वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता वी एस उगारप्पा कहते हैं, ‘राहुल गांधी की तारीफ करने में गलत क्या है? जबकि सांप्रदायिक ताकतों को दूर रखने के लिए कांग्रेस ने सीएम की सीट का बलिदान दिया है। सीएम की इज्जत और बढ़ी ही है। राहुल गांधी की तारीफ करके कुमारस्वामी अपनी पार्टी के लोगों में संदेश देना चाहते हैं कि वे भी शांति बनाए रखें।

‘कुमारस्वामी को जिम्मेदारी तो लेनी ही होगी’

राजनीतिक विश्लेषक संदीप शास्त्री कहते हैं, ‘कुमारस्वामी के बयानों को देखने के दो तरीके हैं। पहला कि वह कांग्रेस के सपॉर्ट से सरकार चलाने में खुद को असहाय और परेशान महसूस कर रहे हैं और उसी की ईमानदार अभिव्यक्ति कर रहे हैं। इसका असर आम लोगों और उनसे जुड़े कामों पर होगा। दूसरा है कि वह खुद को मजबूत स्थिति में नहीं देख पा रहे हैं क्योंकि उनकी पार्टी के लोग सीमित हैं और कांग्रेस गठबंधन में हावी है।






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