Tuesday, May 30, 2023
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तैयार हो जाएं बदलने वाली है दुनिया की तस्‍वीर, मचने वाला है तहलका



आधुनिक युग में तकनीक मानवता को कहां ले आई इसे भले ही हम समझ चुके हैं, लेकिन आने वाले दो दशकों में नई तकनीकों के जरिये क्रांतिकारी परिवर्तन होने की संभावना है।

भविष्य के भारत की परिकल्पना अपने मूल स्वभावानुसार एक जोखिम भरा बौद्धिक कार्य है। फिर भी 1990 के दशक में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में इस तरह की अनूठी पहल की गई थी। समर्थ भारत का पहला विजन डॉक्यूमेंट ‘टेक्नोलॉजी विजन 2020’ के जरिये एक सुनहरे भारत का सपना देखा गया था। ‘विजन 2020’ का लक्ष्य कितना पूरा हुआ कितना अधूरा रहा इस पर चर्चा चलती ही रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन जनवरी 2016 को इंडियन साइंस कांग्रेस में एक और रिपोर्ट ‘टेक्नोलॉजी विजन 2035’ रिलीज कर दी। जन- केंद्रित यह रिपोर्ट विकसित भारत के साथ ही विकसित भारतीय नागरिक की परिकल्पना पर आधारित है।

इस रिपोर्ट में एक सपना देखा गया है कि हमारा देश भारत समृद्ध और सुरक्षित हो व हर भारतवासी की एक विशिष्ट पहचान हो। दुनिया में तकनीकी प्रगति का आलम यह है कि एक नई तकनीक ठीक से व्यवहार में आई भी नहीं कि दूसरी उसकी जगह लेने को आ जाती है। वर्तमान में जिन तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं उनमें भारी तब्दीली आने वाली है। जीवन का हर क्षेत्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ताकत व इंटरनेट की स्पीड से प्रभावित होने वाली है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अगले दो दशकों में तकनीक से दुनिया की तस्वीर बदल जाएगी। ऐसे में पहला सवाल यही उठता है कि भविष्य के धुंध में छिपे भारत की ऐसी क्या चीज है जो अवश्यंभावी है? तो हम दो चीजों के बारे में निश्चित तौर पर भविष्यवाणी कर सकते हैं- एक भारत की महा-विशालता और दूसरा बहु-विविधता। दूसरा सवाल यह कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में आ रहे बदलाव और बेहतर जिंदगी जीने की भारतीय जनमानस की बढ़ती लालसा के बीच जो सपना पल रहा है उसे साकार करने के लिए हमें क्या करना होगा? विजन रिपोर्ट की मानें, तो हमें ऐसी तकनीक साध्य करनी होगी जो हर भारतीय के सर्वांगीण विकास को पूरी तरह से आश्वस्त कर सके।

मशीनी युग में जीने वाले आधुनिक समाज को यह नहीं भूलना चाहिए कि आदि काल से ही मानव जाति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मशीनों को आविष्कार करता रहा। हां तब और अब में फर्क यह है कि कभी हम जरूरतों को पूरा करने के लिए मशीनों की खोज करते थे और अब अपनी इच्छा-पूर्ति के लिए होड़ मची है। हमें यह सोचना होगा कि तकनीकी विकास के नाम पर ही सिर्फ तकनीक विकसित न की जाए, बल्कि प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित करते हुए नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तकनीकी प्रगति हो। यह समझना जरूरी है कि तकनीक अपनेआप में एक तटस्थ चीज है, न तो इसे हानिकारक कह सकते हैं और न ही लाभदायक। यह पूरी मानवता की जिम्मेदारी है कि पूरी नैतिकता के साथ संवेदनशील होकर ही तकनीक का सदुपयोग करे।

अगले दशक में जिन तकनीकों से तहलका मचने वाला है, उनमें से कुछ तो आग की खोज से भी ज्यादा विस्मयकारी हो सकती है। मसलन फ्यूजन पावर व क्वांटम कंप्यूटिंग। आज हम उन ऊर्जा स्नोतों की बात करते हैं जो सुरक्षित, स्वच्छ और अनंत हो। इन शर्तों को पूरा करेगा फ्यूजन पावर। मौजूदा ऊर्जा स्नोतों व फ्यूजन पावर के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में रिन्यूएबल एनर्जी का अस्तित्व कायम रहेगा। फ्यूजन के बारे में वैज्ञानिकों की राय है कि यह सूरज की तरह पावर उत्पादन की क्षमता रखता है, मगर बिना सूरज से ऊर्जा लिए। यातायात से अंतरिक्ष तक को नए सिरे से गढ़ने की ताकत इसमें है।

एक दूसरी तकनीक जिसकी सटीक क्षमता का अनुमान लगाना भी मौजूदा समय में मुश्किल है वह है क्वांटम कंप्यूटिंग। कंप्यूटर ने पूरी मानव जाति को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है, मगर अब इस दिशा में जिस प्रकार की तकनीक सामने आने वाली है, वह निश्चित तौर पर चमत्कारिक है। मानव जीनोम प्रोजेक्ट हो या मून मिशन या इंटरनेट हर क्षेत्र में कंप्यूटर ने अपनी धाक जमाई है, मगर अब दुनिया में क्वांटम कंप्यूटिंग तकनीक दस्तक देने जा रही है। एक आकलन के मुताबिक मौजूदा उत्तम किस्म के कंप्यूटर की तुलना में यह हजारों गुणा अधिक तेज होगा। हालांकि क्वांटम तकनीक की असल गति और इसके वास्तविक उपयोग पर बहस अभी जारी है। दुनिया भर की प्रयोगशालाओं में नित नए प्रयोग किए जा रहे हैं। ऐसे-ऐसे गैजेट तैयार किए जा रहे हैं जिसमें बैटरी चार्ज करने की परेशानी नहीं होगी। ऐसा विमान बनाया जा रहा है जो हवा, पानी और जमीन पर दौड़ सकता है। ऐसी चिप बनाई जा रही है जो 24 घंटे आपके स्वास्थ्य की निगरानी करेगी। जीन के मेल और खेल से मानव शरीर में नक्काशी और रंगीनी भरी जा सकेगी।

वियरेबल टेक्नोलॉजी की धूम मचेगी। यानी भविष्य में तकनीक आपको एक चलते-फिरते सेंसर में तब्दील कर दे सकती है। तस्वीरों की आदी रही दुनिया में एक नया तहलका लाने वाला है थ्रीडी प्रिंटिंग। इस तकनीक के माध्यम से हर चीज बनाई जा सकती है। लंदन में डॉक्टरों की एक टीम ने इस तकनीक के बल पर एक अनूठी सर्जरी को अंजाम दिया। दरअसल एक व्यक्ति ने सड़क दुर्घटना में अपने चेहरे का आधा हिस्सा गंवा दिया था। लेकिन डॉक्टरों ने बचे हुए आधे चेहरे की तरह ही दूसरा हिस्सा भी थ्रीडी तकनीक की मदद से सफलतापूर्वक बना लिया।

व-प्रवर्तनशील भारत आने वाले दिनों में एक ऐसा विकसित देश बनेगा जो पूरी दुनिया को तकनीकी नेतृत्व प्रदान करने में सक्षम होगा। अब सवाल उठता है कि क्या तकनीकी प्रगति और प्रकृति के साथ सहजीवन दोनों साथ-साथ चल सकते हैं? बेशक हम सह-अस्तित्व की रक्षा व सम्मान करते हुए आधुनिकता की मशाल जलाए रख सकते हैं। एक बात तय है कि नई-नई तकनीक व नवप्रवर्तन मानव के साथ-साथ प्रकृति के लिए भी हितकारी हो तो ही भविष्य मंगलकारी हो सकेगा। मगर इसके लिए हमें संवेदनशीलता से सृजनशीलता का सिद्धांत अपनाना पड़ेगा और राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह की पंक्तियों की आत्मा को भी समझना पड़ेगा, ‘आखिर इस प्रगति के चलते हमने क्या-क्या नहीं खोया और क्या-क्या नहीं पाया? ज्ञान खोया, विज्ञान पाया। श्रद्धा खोई, अभिज्ञता पाई। विश्वास खोया, तर्क पाया। स्वास्थ्य खोया, इलाज पाया और दिल खोया, दिमाग पाया।






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