लखनऊ: मायावती की महिमा अपरंपार है. वे कैसे, कब और क्या फ़ैसला कर लें किसी को नहीं पता रहता है. यहां तक की उनके करीबियों तक को नहीं. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ. लखनऊ के जिस बंगले में मायावती रहती थीं वह हमेशा रहस्य बना रहा. बीएसपी के बड़े नेताओं को भी घर के अंदर जाने की इजाज़त नहीं थी. मीडिया की पहुंच भी अंदर वाले दरवाज़े की सीढ़ियों तक ही रहती थी. सतीश चंद्र मिश्र जैसे नेता भी जूते चप्पल खोल कर ही अंदर जाते थे।
अखिलेश यादव जब मायावती के घर गए थे तब भी मुलाक़ात बाहर वाले कमरे में ही हुई थी. राष्ट्रपति उम्मीदवार बनकर प्रणब मुखर्जी जब मायावती से मिलने आए थे, तब भी ऐसा ही हुआ था. उसी बंगले का एक-एक कोना बेडरूम से लेकर टॉयलेट तक आज बहनजी ने मीडिया को दिखाया. वह भी इस सलाह के साथ, ”देख लो सब देख लो आप लोग, मैं यहां कैसे रहती थी.” बंगले की चारदीवारी इतनी ऊंची बनी थी कि परिंदा भी पर न मार सके।
बहनजी ने सरकारी घर ख़ाली करने से पहले भी दलित कार्ड ही खेलती रहीं. मायावती बख़ूबी जानती थीं कि यह फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट का है. हर हाल में उन्हें सरकारी बंगला खाली करना ही होगा. लेकिन बहनजी तो बहनजी हैं. कोई दांव खाली कैसे जाता. कोर्ट का फ़ैसला आते ही उन्होंने 13 मॉल एवेन्यू के बंगले पर कांशीराम मेमोरियल गेस्ट हाउस का बोर्ड लगवा दिया।
मायावती ने दावा किया कि पूर्व सीएम होने के नाते उन्हें 6 लाल बहादुर शास्त्री मार्ग का बंगला मिला है. उन्होंने इस घर की चाबी स्पीड पोस्ट से राज्य संपत्ति विभाग को भेज दी. लेकिन उनके इस दावे को योगी सरकार ने ख़ारिज कर दिया. पूर्व सीएम होने के नाते उन्हें दो सरकारी घर नहीं मिल सकता है. मजबूरी में उन्होंने किस्म-किस्म के ड्रामे के साथ अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया।