मंगलवार को भारत के सर्वोच्च न्यायलय में 3 नए जज शामिल हुए। जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस इंदिरा बनर्जी अब सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा है। जजों की नियुक्ति के दौरान काफी लम्बे समय तक जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति का मामला सुर्ख़ियों में बना रहा। लेकिन इनके बीच एक नाम और हैं जो भारतीय न्यायव्यवस्था के इतिहास में दर्ज हो गया उनका नाम हैं जस्टिस इंदिरा बनर्जी। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ हैं कि सुप्रीम कोर्ट में तीन-तीन महिला जज हैं। जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी। जस्टिस इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट की आठवीं जज बनने वाली महिला हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल ४ साल और एक महीने का रहेगा। पिछले शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मद्रास हाई कोर्ट की चीफ़ जस्टिस इंदिरा बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई। इंदिरा बनर्जी का जन्म २४ सितम्बर १९५७ को हुआ था। उनकी शुरूआती पढ़ाई कोलकत्ता के लोरेटो हाउस में हुई थी। उसके बाद उन्होंने कोलकत्ता से अपनी ग्रेजुएशन की। फिर क़ानूनी की पढ़ाई के लिए उन्होंने कोलकाता लॉ यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। ५ जुलाई १९८५ को इंदिरा वकील बनी थी और कोलकाता में निचली अदालत और हाईकोर्ट में प्रेक्टिस शुरू की। क्रिमिनल लॉ के अलावा उन्होंने दूसरे सभी तरह के केस लड़े हैं। ५ फरवरी २००२ को इंदिरा कोलकत्ता हाईकोर्ट की स्थायी जज बन गई फिर २०१६ में वो दिल्ली हाईकोर्ट में आई और ५ अप्रेल २०१७ को उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट की चीफ़ जस्टिस के तौर पर कार्यभार संभाला। मद्रास कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रहते हुए वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई इन-हाउस कमेटी की अध्यक्ष थी। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने ओडिशा हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए बनाई गई थी। असल में, देश के सभी हाईकोर्ट के जो चीफ़ जस्टिस मौजूद है उनमे वो दूसरी सबसे सीनियर चीफ़ जस्टिस थी। जिसकी वजह से उन्हें यह पदोन्नति मिली हैं।