जर्नलिज्म और माॅस कम्यूनिकेशन पिछले एक दशक में एक नए कोर्स के रूप में सामने आया है। जर्नलिज्म और माॅस कम्यूनिकेशन का मतलब सिर्फ इतना नही है कि लाइट, कैमरा और रिपोर्टिंग। यह एक धारणा के रूप में सामने आया है कि जर्नलिज्म और माॅस कम्यूनिकेशन का क्षेत्र केवल खबरों से जुड़ा जाता है। इसका अर्थ केवल यह भी नही है कि आप सिर्फ अखबार या चैनल में काम करने योग्य हैं। जर्नलिज्म और माॅस कम्यूनिकेशन एक बड़े बरगद के पेड़ की तरह है जिसके यह एक छोटी सी डाल हैं। जर्नलिज्म और माॅस कम्यूनिकेशन कई और विषय भी होते हैं जैसे- एडवरटाइजमेंट, पब्लिक रिलेशन और फोटोग्राफी आदि. इसके साथ-साथ किसी विषय पर डाक्यूमेंटरी बनाना, एंकरिंग करना, रेडियों में अपनी आवाज से सबका मन मोहना भी मास काॅम कोर्स का एक अभिन्न अंग है।
आज-कल जर्नलिज्म और माॅस कम्यूनिकेशन की पढ़ाई को साधाराण पढ़ाई मानी जाती है। लोगों की मानसिकता हो चुकी है कि मास काॅम में कुछ ख़ास पढ़ना नही होता है। इसकी पढ़ाई बेहद ही आसान है। परंतु यह अवधाराणा गलत है। पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। आपको हर रोज की खबरों से आप-टू-डेट रहना पड़ता है। इसके साथ-साथ आपको उन खबरों का शोध भी करना भी जरुरी होता है, जिस तरह किसी बीमारी के बाद उसके बारे में सही जानकारी का होना जरुरी होता है. उसी तरह खबरों की सत्यता का पता होना भी जरुरी होता है. जैसे बीमारी के बाद गलत दवा उस बीमारी को और बिगाड़ सकती है. उसी तरह को झूठी खबर भी गलत असर कर सकती है. इसलिए यह जरुरी है कि किसी खबर को जानने के बाद यह जानने की कोशिश करें कि यह खबर सच है या सिर्फ अफवाह। इसमें भी खासकर सोशल मीडिया की खबरों को ज्यादा शोध करने की जरूरत होती है।
फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी और इससे संबंधित किसी भी चीज़ के लिए उपकरण होना दूसरी बात है। पहले महत्वपूर्ण यह होता है कि आपकी सोच क्या है आप क्या लोगो को प्रदर्शित करना चाहते हैं। एडवरटाइजमेंट या पब्लिक रिलेशन के लिए आपको अपनी सोच को रचानत्मक करने होता है। आपको ऐसे आइडिया को प्रदर्शित करना होगा कि लोगो का ध्यान आकर्षित हो. इसके लिए आपको उस चीज की अच्छी तरह से खोजबीन करनी होगी. उसके तमाम पहलुओं को जानना होगा। एंकरिंग करने के लिए व रिपोर्टिंग में अपना करियर बनाने के लिए आपको अपनी भाषा, उच्चारण पर काम करना होगा। मास काॅम के किसी भी क्षेत्र में जाने के लिए आपको ज्ञान व खबरों की समझ होना जरूरी है। इतिहास से लेकर वर्तमान काल तक के बारे में जानकारी उपयोगी होता है और मददगार होती हैं।
वरिष्ठ पत्रकार सईद अंसारी के अनुसार जर्नलिज्म और माॅस कम्यूनिकेशन का कोई निश्चित कोर्स नहीं होता है. आप इसकी पढ़ाई को किसी दायरे में नहीं बाँध सकते हैं. इसकी पढ़ाई कभी ख़त्म नहीं होती है. आपको हर रोज कुछ न कुछ नया सीखने की जरुरत होती है. अगर आप उसको सीखने में असफल रहते हैं तो आप पिछड़ जायेंगे और एक दिन ऐसा आएगा कि उसी चीज की कमी के कारण आपको विफलता या हार का मुँह देखना पड़ेगा. इसलिए जर्नलिज्म और माॅस कम्यूनिकेशन की पढ़ाई को आसान नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसे आसान बनाया जा सकता है।