नितिन पटेल जहां इस पूरे मामले को उनकी छवि धूमिल करने की कवायद बता रहे हैं, वहीं कई सियासी पंडित मान रहे हैं कि गुजरात चुनावों के बाद नितिन पटेल का रवैया हाई कमान को पसंद नहीं आया था, ऐसे में यह पार्टी के भीतर पटेल का कद घटने की शुरुआत है।
गुजरात में पिछले करीब एक महीने से विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर ऐसी चर्चा चल रही है कि गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल बगावत की तैयारी में थे. लोकसभा में अब एक साल से भी कम का वक्त बचा है ऐसे में मामले ने सियासी गहमागहमी बढ़ा दी है।
नितिन पटेल जहां इस पूरे मामले को उनकी छवि धूमिल करने की कवायद बता रहे हैं, वहीं कई सियासी पंडित मान रहे हैं कि गुजरात चुनावों के बाद नितिन पटेल का रवैया हाई कमान को पसंद नहीं आया था, ऐसे में यह पार्टी के भीतर पटेल का कद घटने की शुरुआत है।
पटेल ने तब ट्वीट किया था, ‘पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर मेरे बारे में ऐसे पोस्ट देखे जा रहे हैं. ये बातें मेरी छवि को धूमिल करने और मेरी विश्वसनियता खराब करने के लिए फैलाई जा रही हैं. मैं अपने सभी समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं से इस तरह की दुर्भावनापूर्ण अफवाहों से बचने की अपील करता हूं. इसके साथ ही अगर ये अफवाहें आगे भी जारी रहीं, तो मैं इनके खिलाफ पुलिस में केस करने की भी सोच रहा हूं।
नितिन पटेल के इस ट्वीट को प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष जीतू वघानी ने तुरंत ही रिट्वीट किया और कहा, ‘नितिनभाई पटेल के बारे में कुछ लोग मीडिया में झूठी खबरें फैला रहे हैं. बीजेपी इनके निहित स्वार्थों से वाकिफ है. नितिन भाई पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और वह उपमुख्यमंत्री के नाते मिली शक्तियों के जरिये लोगों की भलाई के भरसक काम कर रहे हैं. बीजेपी के सारे विधायक पार्टी के साथ है. यह निंदनीय है और बीजेपी इस तरह की हरकतें बर्दाश्त नहीं करेगी।
वहीं इसके कुछ ही दिनों बाद पार्टी ने 2019 के चुनावों की तैयारियों की देखरेख के लिए 11 सदस्यीय एक समिति गठित की, जिसमें नितिन पटेल का नाम प्रमुखता से पेश किया गया. इस समिति को गुजरात की 26 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम फायनलाइज करने की जिम्मेदारी दी गई है. इस कवायद से साफ है कि बीजेपी कम से कम लोकसभा चुनाव पूरे होने तक तो नितिन पटेल को पार्टी से जोड़े रखना चाहती है।
यहां सियासी गलियारे में एक बात यह भी कही जा रही है कि ये अफवाहें नितिन पटेल के विरोधी खेमे की तरफ से फैलाई जा रही है. इस विवाद के बाद नितिन पटेल पर इन कथित ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ पर सफाई देना पड़ा।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हरि देसाई का मानना है कि पार्टी में अब उनका भविष्य बहुत उज्ज्वल नहीं है. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हरि देसाई कहते हैं, ‘पार्टी में अब उनका भविष्य बहुत उज्ज्वल नहीं है. इतिहास बताता है कि पार्टी ने किसी भी तरह के विरोध को बर्दाश्त नहीं किया है. जनसंघ के बड़े चेहरे बलराज मढोक को भी इससे पहले पार्टी ने बाहर निकाल फेंका था. आडवाणी इसके हालिया उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि चुनाव के बाद से नितिन पटेल के नखरे बढ़ गए हैं, लेकिन पार्टी इसे बहुत समय तक बर्दाश्त करने वाली नहीं है और देर-सबेर उन्हें रास्ते पर ले ही आएगी।