मैट्रिक पास करने के बाद कॅरियर विकल्पों के अनुसार आगे की पढ़ाई के लिए विषय का चयन करना होता है। बिहार में स्थिति ऐसी है कि सामान्य पाठ्यक्रमों में मैट्रिक के बाद पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के विषयों का चयन उनकी मर्जी से कम, हालात की भूमिका अधिक होती है। अगर विद्यार्थी कॉमर्स स्ट्रीम में कॅरियर बनाना चाहते हैं तो राज्य के संस्थानों में आईकॉम की लिमिटेड सीटें उन्हें अपना स्ट्रीम बदलने पर मजबूर कर देती हैं। कॉमर्स स्ट्रीम में कॅरियर के विकल्प तो तेजी से बढ़े हैं, लेकिन बिहार में कॉमर्स की पढ़ाई के मौके नहीं बढ़े। हालात ऐसे हैं राज्य में इंटर की पढ़ाई कराने वाले शैक्षणिक संस्थानों में कॉमर्स स्ट्रीम की सिर्फ 14.61 फीसदी सीटें हैं। ऐसे में मजबूरी है कि अधिकतर विद्यार्थी सिर्फ आर्ट्स या साइंस विषय की ही पढ़ाई करें।
राज्य के कुल 3317 ऐसे संस्थान हैं जहां बिहार बोर्ड से इंटर की पढ़ाई होती है। इनमें साइंस स्ट्रीम में कुल 6,64,880 सीटें हैं जबकि आर्ट्स स्ट्रीम में 6,28,276 सीटें हैं। वहीं आईकॉम के लिए सिर्फ 2,21,284 सीटें हैं। राज्य के इन संस्थानों में से सिर्फ 26.07 फीसदी कॉलेज ही ऐसे हैं जहां कॉमर्स की पढ़ाई होती है। सभी जिलों को मिलाकर कुल 877 कॉलेज हैं जहां आईकॉम की पढ़ाई होती है। इसमें आईकॉम पढ़ाने वाले सबसे अधिक 74 कॉलेज मधुबनी में हैं। जबकि सबसे कम 03 कॉलेज औरंगाबाद में है। पटना में कुल 254 कॉलेज हैं जिसमें से सिर्फ 70 कॉलेजों में आईकॉम की पढ़ाई होती है।
कॉमर्स चुननेवाले विद्यार्थियों के पास कॅरियर विकल्पों की संख्या बढ़ रही है। जिन्हें कॉमर्स में उच्च शिक्षा लेनी है, वे तो कॉमर्स स्ट्रीम लेते ही हैं, साथ ही सीए, सीएस करने वाले विद्यार्थी भी इंटर में कॉमर्स स्ट्रीम चुनने को प्राथमिकता देते हैं। इसके अलावा जिन विद्यार्थियों को भविष्य में मैनेजमेंट की पढ़ाई करने की योजना होती है, उनकी प्राथमिकता भी कॉमर्स स्ट्रीम होती है। लेकिन सीटें कम होने के कारण अच्छे अंकों वाले विद्यार्थी भी बिहार के संस्थानों में आईकॉम में एडमिशन नहीं ले पाते। गोपालगंज के कुमार मयंक को सीए की पढ़ाई करनी थी। लेकिन स्थानीय कॉलेज में मैट्रिक के प्राप्तांक के आधार पर नामांकन नहीं मिला।