लद्दाख में एलएसी यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास हमारे देश और हमारे पड़ोसी चीन के बीच पिछले लगभग एक महीने से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. हालांकि इस तनाव को कम करने के लिए दोनो देशों के बीच लगातार बातचीत कि प्रक्रिया जारी है. इसी बीच, सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार लद्दाख के पैंगोंग त्सो में चीन की असामान्य गतिविधियों को पहली बार अप्रैल के मध्य में देखा गया था. लद्दाख में हमारे देश की ओर से किए जा रहे सड़क निर्माण की प्रतिक्रिया चीन की तुरंत नहीं थी, बल्कि इसकी तैयारी चीन वो मध्य अप्रैल से ही कर रहा था. यानी 5 मई को हुई झड़प से करीब 14 दिन पहले से.
पैंगोंग त्सो में दोनो देशों के बीच को झड़प हुई थी वो 5 मई को हुई थी. 1 मई से चीन सैनिकों ने मूवमेंट शुरू कर दिया गया था. जिन क्षेत्रों को संवेदनशील माना जा रहा है, वो लद्दाख का पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी क्षेत्र तीन अन्य स्पॉट शामिल है. पैंगोंग त्सो के अलावा गलवान घाटी में भी दोनो देशों की सेनाओं के बीच तनाव की स्थिति है.
सिर्फ लद्दाख में ही नहीं बल्कि उत्तरी सिक्किम के नाकू ला भी एलएसी के तनाव वाले क्षेत्रों में से एक है. यहां पिछले महीने भी दोनो देशों कि सेनाएं आमने सामने आ गई थीं. इन जगहों के अलावा लिपुलेख में भारत के सड़क निर्माण का हमारे एक और पड़ोसी ने विरोध किया है और है पड़ोसी है नेपाल. अब लद्दाख के अलावा इस क्षेत्र को भी संवेदनशील माना जाने लगा है. इसको देखते हुए चीन ने इस क्षेत्र में भी सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है और भारत का सड़क निर्माण का विरोध किया है.